एक जापानी पर्यटक भारत की सैर पर आया हुआ था।
आखिरी दिन एयरपोर्ट जाने के लिए टैक्सी ली और ड्राइवर बन्ता सिंह से चलने को कहा।
यात्रा के दौरान एक 'होण्डा' बगल से गुज़र गयी। जापानीज़ ने उत्तेजित होकर खिड़की से सिर निकाला और चिल्लाया - "होण्डा‚ वेरी फास्ट! मेड इन जापान!"
कुछ देर बाद एक 'टोयोटा' तेज़ी से टैक्सी के पास से गुज़र गयी‚ और फिर जापानी बाहर झुका और चिल्लाया, "टोयोटा‚ वेरी फास्ट! मेड इन जापान!"
और फिर एक मित्शुबिशी टैक्सी बगल से गुज़री। तीसरी बार जापानी खिड़की की ओर झुकते हुए चिल्लाया‚ "मित्शुबिशी‚ वेरी फास्ट! मेड इन जापान!"
बन्ता थोड़ा ग़ुस्से में आ गया मगर चुप रहा। और कई सारी कारें गुज़रती रहीं। आखिरकार टैक्सी एयरपोर्ट तक पहुँच गयी।
किराया 800 रु. बना। जापानी चीखा‚ "क्या? . . . इतना ज़्यादा!"
अब बन्ता के िचल्लाने की बारी थी‚ "मीटर‚ वेरी फास्ट! मेड इन इंडिया।"
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